जब वो लहरा के चलती थी, सब लहर फीकी पड़ जाती थी...
जब वो मुस्काती थी, दुनिया की हर कठनाई हलकी लगती थी...
जब वो मधुर वाणी से नाम मेरा पुकारती थी, दुनिया जीत लेने का एहसास कराती थी...
जब वो गले प्यार से लग जाती थी, मानो दुनिया अपनी लगती थी...
जब वो आँख दिखती थी, एक प्यारी सी मुस्कान होठों पे आ जाती थी...
जब वो दूर जाती थी, मानो सांस अटक जाती थी...
सदा मुस्कुराते रहने का वादा कर के बेबस हो गए वरना आज उसके बिना जीना खुद से मक्कारी लगता है!
साथ गुज़रा हर पल, हर लम्हा याद आता है,
हर वो राह याद आती है जिसपर हाथों में हाथ डाले सपने संजोए थे।
आज सब कसम, सब वादे बेमाने लगते हैं,
खुद के वचन खुद से मक्कारी लगते हैं।
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