देश रोता है और तू सोता है...
देश को रही है तेरी ज़रूरत...
पर तूने कभी ना समझी अपनी कीमत...
तू बदल सकता है सूरत इस देश की...
क्योंकि तू ही बुनियाद है इस दुनिया की...
तू छोटा है पर खोटा नहीं...
तू दुखी है पर बेबस नहीं...
तू देश बदल सकता है...
तू एक नया इतिहास रच सकता है...
उखाड़ फैंक इन सत्ता के गलियारों को...
खुद को खुदा समझने वालों को...
कीमत बतला दे तू आज इनको...
पैसा नहीं तेरे पास, पर तेरा देश ग़रीब नहीं...
सालों से तूने ही नीवाला दिया है इनको...
ये याद दिला तू आज इनको...
तुझे सेवक समझने वालों को आज तू इनकी असली जगह दिखा दे...
तू बदल सकता है देश, अपनी असली क़ीमत समझा दे...
अपने हक़ के लिए लड़ना सीख...
ना डर तू किसी से, चोरों को डराना सीख...
हिम्मत कर और आयेज बढ़...
तू कमज़ोर नहीं... तू इस देश का आम आदमी है...
अपनी असली कीमत पहचान...
(शोभित चौहान)
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